बुधवार, 15 मई 2019

कौन थे राजा वीर विक्रमादित्य....

कौन थे राजा वीर विक्रमादित्य.....????

बड़े ही शर्म की बात है!!!
कि *महाराजा विक्रमादित्य* के बारे में देश को लगभग शून्य के बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, विक्रम संवत जिनकी देन है, जिनके न्याय का डंका तीनों लोकों में बजता था देवता भी अपना न्याय *महाराजा विक्रमादित्य* से करवाते थे उनकी नयायप्रियता का कोई सानी नहीं था  नव रत्नों से उनका दरबार भरा रहता था,और  उनके द्वारा ही भारत में स्वर्णिम काल आया था, ऐसे महान राजा को भारतवर्ष भुलता जा रहा है ????
-----------
उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन, जिनके तीन संताने थी, सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती, उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य...
बहन मैनावती का विवाह धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर हुआ, जिनके एक पुत्र हुआ गोपीचन्द , आगे चलकर राज़ा गोपीचन्द ने श्री ज्वालन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और राज पाट छोड़ तपस्या करने जंगलों में चले गए, फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली,
-----------
आज यह देश और यहाँ की संस्कृति केवल *महाराजा विक्रमदित्य* के कारण अस्तित्व में है।
अशोक मौर्य ने बौद्ध धर्म अपना लिया था और अहिंसक,(बिना शस्त्र की सेना) व बौद्ध बनकर 25 वर्ष राज किया था।
इस कारण विदेशियों के आक्रमण हुए, भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और जैन हो गए थे।
----------
रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, *महाराज विक्रमादित्य* ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया।
विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया।
*महाराजा विक्रमादित्य* के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तल ग्रंथ लिखा, जिसमें भारत का इतिहास लिखा है।
अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रों हम भगवान् कृष्ण और राम को ही भूल चुके होते।
हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे।
उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए, राज अपने छोटे भाई वीर विक्रमदित्य को दे दिया , वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्हीं के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है
--------------
*महाराज विक्रमादित्य* ने केवल धर्म ही नही बचाया...
उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम काल कहा जाता है।
*महाराजा विक्रमादित्य* के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यापारी सोने के वजन से खरीदते थे,
भारत में इतना सोना आ गया था कि *विक्रमादित्य* काल में सोने की सिक्के चलते थे , आप गूगल इमेज कर विक्रमदित्य काल के सोने के सिक्के देख सकते हैं।
----------------
हिन्दू कैलंडर भी *राजा विक्रमादित्य* का स्थापित किया हुआ है (विक्रम संवत्)
आज जो भी ज्योतिष गणना है जैसे, हिन्दी सम्वंत, वार, तिथियाँ, राशि, नक्षत्र , गोचर आदि उन्ही के समय की रचना है, वे बहुत ही पराक्रमी, बलशाली और बुद्धिमान राजा थे ।

*महाराजा विक्रमादित्य* के काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे, न्याय, राज सब धर्मशास्त्र के नियमों पर चलते थे।
*राजा विक्रमादित्य*  का काल राम राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनी और धर्म पर चलने वाली थी।  कलयुग में अयोध्या की खोज *राजा विक्रमादित्य* के द्वारा ही हुईं थीं,वेटिकन शिव मंदिर, काबा शिव मंदिर, उज्जेन शिव मंदिर,  आदि  मंदिरों का जीर्णोद्धार व  निर्माण करवाया गया है
------------
पर बड़े दुःख की बात है कि भारत के सबसे महानतम राजा के बारे में  वामपंथीयों का लिखा इतिहास भारत की जनता को झूठा ज्ञान देता है,  कृपया आप इसे अधिक से अधिक शेयर करें, ताकि देश जान सके कि सोने की चिड़िया वाले देश के राजा विक्रमादित्य कौन  थे ।।।।